छत्तीसगढ़ में नक्सल उन्मूलन की नई सुबह: बस्तर और कोंडागाँव जल्द होंगे नक्सल-मुक्त
छत्तीसगढ़ में नक्सल उन्मूलन की नई सुबह: बस्तर और कोंडागाँव जल्द होंगे नक्सल-मुक्त
छत्तीसगढ़ के बस्तर और कोंडागाँव जिलों में नक्सलवाद के खिलाफ अभूतपूर्व प्रगति हुई है। गृह मंत्रालय ने मई 2025 में इन जिलों को नक्सल प्रभावित सूची से हटाकर “विरासत और जोर” (Legacy and Thrust) श्रेणी में शामिल किया, जो दशकों बाद एक ऐतिहासिक कदम है। प्रभावी सैन्य अभियानों, आत्मसमर्पण नीतियों और विकास कार्यों के दम पर नक्सल गतिविधियाँ न्यूनतम स्तर पर पहुँच गई हैं। 21 मई 2025 को नारायणपुर में 27 नक्सलियों, जिसमें शीर्ष नेता बसवराजू शामिल थे, के मारे जाने से नक्सलवाद की कमर टूट गई। आइए इस सकारात्मक बदलाव और नक्सल-मुक्त भविष्य की कहानी समझते हैं!
मुख्य हाइलाइट्स
- बस्तर और कोंडागाँव को नक्सल-मुक्त क्यों घोषित किया गया?
- नक्सल गतिविधियों में कमी के पीछे क्या कारण हैं?
- 21 मई 2025 का नारायणपुर ऑपरेशन क्या था?
- आत्मसमर्पण नीति ने कैसे मदद की?
- विकास कार्यों का नक्सल उन्मूलन में क्या योगदान है?
- क्या बस्तर और कोंडागाँव पूरी तरह नक्सल-मुक्त हैं?
- केंद्र और राज्य सरकार की रणनीति क्या है?
- सोशल मीडिया पर इस बदलाव को कैसे देखा जा रहा है?
- क्या अन्य जिले भी नक्सल-मुक्त हो सकते हैं?
- नक्सलवाद के उन्मूलन का स्थानीय लोगों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
बस्तर और कोंडागाँव में नक्सलवाद का अंत: पूरी कहानी
1. बस्तर और कोंडागाँव को नक्सल-मुक्त क्यों घोषित किया गया?
मई 2025 में गृह मंत्रालय ने बस्तर और कोंडागाँव को नक्सल प्रभावित जिलों की सूची से हटाकर “विरासत और जोर” श्रेणी में रखा। इन जिलों में नक्सल हिंसा में भारी कमी और सिविल प्रशासन की मजबूती इसकी वजह रही।
2. नक्सल गतिविधियों में कमी के पीछे क्या कारण हैं?
सुरक्षा बलों के तीव्र अभियान, जैसे ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट, और विकास योजनाओं ने नक्सलियों की भर्ती और समर्थन को कम किया। 2025 में बस्तर डिवीजन में 183 नक्सली मारे गए, जिसने उनकी संरचना को कमजोर किया।
3. 21 मई 2025 का नारायणपुर ऑपरेशन क्या था?
21 मई को नारायणपुर के अबुझमाड़ जंगल में सुरक्षा बलों ने 27 नक्सलियों को मार गिराया, जिसमें CPI (माओवादी) के महासचिव नंबाला केशव राव (बसवराजू) शामिल थे। यह नक्सलवाद के खिलाफ सबसे बड़ी जीत थी।
4. आत्मसमर्पण नीति ने कैसे मदद की?
छत्तीसगढ़ की नई आत्मसमर्पण नीति-2025 के तहत नक्सलियों को पुनर्वास और सुरक्षा दी जा रही है। सुकमा के बदेसट्टी गाँव में 11 नक्सलियों के आत्मसमर्पण ने इसे पहली नक्सल-मुक्त ग्राम पंचायत बनाया।
5. विकास कार्यों का नक्सल उन्मूलन में क्या योगदान है?
“नियद नेल्लानार” योजना के तहत सड़कें, बिजली, पानी और स्वास्थ्य सुविधाएँ गाँवों तक पहुँचीं। गृह मंत्री अमित शाह की घोषणा के अनुसार, नक्सल-मुक्त गाँवों को 1 करोड़ रुपये का विकास कोष मिलेगा।
6. क्या बस्तर और कोंडागाँव पूरी तरह नक्सल-मुक्त हैं?
हालाँकि नक्सल गतिविधियाँ बहुत कम हो गई हैं, लेकिन पूर्ण उन्मूलन के लिए निगरानी जरूरी है। कोंडागाँव में अप्रैल 2025 में दो नक्सलियों के मारे जाने से पता चलता है कि खतरा पूरी तरह खत्म नहीं हुआ।
7. केंद्र और राज्य सरकार की रणनीति क्या है?
केंद्र ने 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। छत्तीसगढ़ में 66,000 सुरक्षाकर्मी तैनात हैं, और ITBP ने अबुझमाड़ में 5 नए अड्डे बनाए। विकास और सुरक्षा का मिश्रण इस रणनीति का आधार है।
8. सोशल मीडिया पर इस बदलाव को कैसे देखा जा रहा है?
सोशल मीडिया पर लोग बस्तर के नक्सल-मुक्त होने को भारत के लिए मील का पत्थर बता रहे हैं। कुछ यूजर्स ने इसे सुरक्षा बलों की जीत और विकास की ताकत का प्रतीक माना है।
9. क्या अन्य जिले भी नक्सल-मुक्त हो सकते हैं?
सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर और कांकेर अभी भी नक्सल प्रभावित हैं, लेकिन आत्मसमर्पण और अभियानों से प्रगति हो रही है। धमतरी और राजनांदगाँव भी “विरासत और जोर” श्रेणी में हैं।
10. नक्सलवाद के उन्मूलन का स्थानीय लोगों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
नक्सल-मुक्त क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। आदिवासी युवा अब हिंसा के बजाय मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं, जिससे बस्तर का भविष्य उज्ज्वल दिख रहा है।
नक्सल उन्मूलन की प्रमुख बातें (तालिका)
यह तालिका बस्तर और कोंडागाँव में नक्सलवाद के खिलाफ प्रगति की प्रमुख घटनाओं को दर्शाती है।
विशेषता | विवरण |
---|---|
पुनर्वर्गीकरण | मई 2025, “विरासत और जोर” श्रेणी |
प्रमुख ऑपरेशन | 21 मई 2025, नारायणपुर (27 नक्सली मारे गए) |
आत्मसमर्पण | सुकमा में 11 नक्सली, बदेसट्टी नक्सल-मुक्त |
विकास कोष | नक्सल-मुक्त गाँवों को 1 करोड़ रुपये |
लक्ष्य | 31 मार्च 2026 तक नक्सल-मुक्त भारत |
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- क्या बस्तर और कोंडागाँव का नक्सल-मुक्त होना स्थायी शांति लाएगा?
- विकास और सुरक्षा की दोहरी रणनीति कितनी प्रभावी है?
- नक्सलवाद के खात्मे से आदिवासी समुदायों का भविष्य कैसे बदलेगा?
यह लेख सामान्य स्रोतों से एकत्रित जानकारी पर आधारित है और पूरी तरह मूल है। हम सटीकता की गारंटी देते हैं, लेकिन यदि कोई त्रुटि हो तो क्षमा के प्रार्थी हैं। आप फीडबैक दे सकते हैं। बिना अनुमति उपयोग प्रतिबंधित।
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